Friendship Shayari

Freindship Shayari, Dosti Ka Mol

Tum Mujhse Dosti Ka Mol Na Poochhna Kabhi,
Tumhen Kisne Kaha Ki Ped Chhanv Bechte Hain?
तुम मुझसे दोस्ती का मोल ना पूछना कभी,
तुम्हें किसने कहा की पेड़ छाँव बेचते हैं..?

Dosti Ka Mol - Friendship Shayari

Mujhe Dost Kehne Wale Jara Dosti Nibha De,
Ye Takaja Hai Haq Ka Koi Iltija Nahin Hai.
मुझे दोस्त कहने वाले जरा दोस्ती निभा दे,
ये तकाजा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है।

Patjhad Ke Mausmo Se Bahla Rahe Hain Dil Ko,
Kanton Mein Fhans Gayi Hai, Phoolon Ki Dosti.
पतझड़ के मौसमो से बहला रहे हैं दिल को,
कांटों में फँस गयी है, फूलों की दोस्ती। 

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Friendship Shayari, Apne Dost Ki Khushiyan

Chhupi Hui Ek Pahchaan Rakhta Hoon,
Bahar Shant Hoon, Andar Toofan Rakhta Hoon,
Rakh Ke Taraajoo Mein Apne Dost Ki Khushiyan,
Doosre Palde Mein Main Apni Jaan Rakhta Hoon.
छुपी हुई एक पहचान रखता हूँ,
बाहर शांत हूँ, अंदर तूफान रखता हूँ,
रख के तराजू में अपने दोस्त की खुशियाँ,
दूसरे पलड़े में मैं अपनी जान रखता हूँ।

Dosti To Ek Jhonka Hai Hawa Ka,
Dosti To Ek Naam Hain Wafa Ka,
Auro Ke Liye Chaahe Kuchh Bhi Ho Dosti,
Hamare Liye To Haseen Tohfa Hai Khuda Ka.
दोस्ती तो एक झोंका है हवा का,
दोस्ती तो एक नाम हैं वफा का,
औरों के लिए चाहे कुछ भी हो दोस्ती ,
हमारे लिए तो हसीन तोहफा है खुदा का।

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Dost Bahut Yaad Aate Hain

मै यादों का किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं,
मै गुजरे पल को सोचूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं,

अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से,
मै देर रात तक जागूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं,

कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

वो पल भर की नाराजगियाँ,
और मान भी जाना पलभर में,
अब खुद से भी रूठूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।

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Dosti Shayari, Kagaz Par Dosti

Kagaz Par Aaj Dosti Likhne Baitha Tha,
Zindagi Main Teri Hissedari Likhne Baitha Tha,
Kalam Uthi Hi Nahi Kagaz Par Chalne Ko,
Kyuki Vafa Ko Aaj Alfaaz Mein Likhne Baitha Tha.

कागज़ पर आज दोस्ती लिखने बैठा था,
ज़िन्दगी मे तेरी हिस्सेदारी लिखने बैठा था,
कलम उठी ही नही कागज़ पर चलने को, क्यूंकि
वफ़ा को आज अल्फाज़ में लिखने बैठा था।

Dosti Shayari - Dosti Likhne Baitha Tha

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Dosti Ke Mijaaz

Ek Tabeej... Teri-Meri Dosti Ko Bhi Chaahiye,
Thodi Si Dikhi Nahin Ki Nazar Lagne Lagti Hai.

एक ताबीज़... तेरी-मेरी दोस्ती को भी चाहिए,
थोड़ी सी दिखी नहीं कि नज़र लगने लगती हैं।

Wo Achchha Hai To Achchha Hai, Wo Bura Hai To Bhi Achchha Hai,,
Dosti Ke Mijaaz Mein, Yaaron Ke Aib Nahin Dekhe Jaate.

वो अच्छा है तो अच्छा है,वो बुरा है तो भी अच्छा है,
दोस्ती के मिजाज़ में, यारों के ऐब नहीं देखे जाते।

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