Hindi Shayari, Zakhm Kya Hota Hai

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Zakhm Kya Hota Hai Ye Bataenge Kisi Roj,
Kamaal Ki Gazal Tumko Sunaenge Kisi Roj,
Thi Un Ki Jid Ke Main Jaoon Unko Manane,
Mujhe Ye Vaham Tha Ki Vo Bulaenge Kisi Roj,

ज़ख्म क्या होता है ये बताएँगे किसी रोज,
कमाल की ग़ज़ल तुमको सुनाएंगे किसी रोज,
थी उन की जिद के मैं जाऊं उनको मनाने,
मुझे ये वहम था कि वो बुलाएँगे किसी रोज।

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Maine Kabhi Socha Bhi Nahin Tha Aisa Ki,
Mere Dil Ko Vo Itna Dukhayenge Kisi Roj,
Udne Do In Parindon Ko Aajaad Fijaon Mein,
Gar Honge Tumhare To Laut Ke Aaenge Kisi Roj.

मैंने कभी सोचा भी नहीं था ऐसा कि...
मेरे दिल को वो इतना दुखायेंगे किसी रोज,
उड़ने दो इन #परिंदों को आजाद फिजाओं में,
गर होंगे तुम्हारे तो लौट के आएंगे किसी रोज।

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