Akhtar Shirani Shayari
Kaanton Se Dil Lagaao Jo Ta-Umr Saath Dein,
Phoolon Ka Kya Jo Saans Ki Garmi Na Seh Sakein.
काँटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें,
फूलों का क्या जो साँस की गर्मी न सह सकें।
Gham-e-Zamana Ne Majboor Kar Diya Varna,
Ye Aarzoo Thi Ki Bas Teri Aarzoo Karte.
गम-ए-जमाना ने मजबूर कर दिया वर्ना,
ये आरजू थी कि बस तेरी आरजू करते।
Unn Ras Bhari Aankhon Mein Haya Khel Rahi Hai,
Do Zahar Ke Pyaalon Mein Qaza Khel Rahi Hai.
उन रस भरी आँखों में हया खेल रही है,
दो जहर के प्यालों में क़ज़ा खेल रही है।
Gam Ki Ghataon Se Khushi Ka Chaand Niklega,
Andheri Raat Ke Parde Mein Din Ki Raushni Bhi Hai.
गम की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगा,
अँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है।
Din Raat MaiKade Mein Gujarti Thi Zindagi,
Akhtar Wo Be-Khudi Ke Zamane Kidhar Gaye.
दिन रात मय-कदे में गुज़रती थी ज़िंदगी,
अख़्तर वो बे-ख़ुदी के ज़माने किधर गए।
Thak Gaye Hum Karte Karte Intezaar,
Ik Qayamat Un Ka Aana Ho Gaya.
थक गए हम करते करते इंतज़ार,
इक कयामत उन का आना हो गया।
Kuchh Iss Tarah Se Yaad Aate Rahe Ho,
Ki Ab Bhool Jane Ko Jee Chahta Hai.
कुछ इस तरह से याद आते रहे हो,
कि अब भूल जाने को जी चाहता है।
Khafa Hain Phir Bhi Aa Kar Chhed Jate Hain Tasavvur Mein,
Hamare Haal Par Kuchh Meharbani Ab Bhi Hoti Hai.
खफ़ा हैं फिर भी आ कर छेड़ जाते हैं तसव्वुर में,
हमारे हाल पर कुछ मेहरबानी अब भी होती है।
Yaad Aao Mujhe Lillaah Na Tum Yaad Karo,
Meri Aur Apni Jawaani Ko Na Barbaad Karo.
याद आओ मुझे लिल्लाह न तुम याद करो,
मेरी और अपनी जवानी को न बर्बाद करो।
Uthhte Nahin Hain Ab To Dua Ke Liye Bhi Hath,
Kis Darja Na-Umeed Hain Parvardigaar Se.
उठते नहीं हैं अब तो दुआ के लिए भी हाथ,
किस दर्जा ना-उमीद हैं परवरदिगार से।
Chaman Mein Rehne Valon Se To Ham Sahara-Nasheen Achchhe,
Bahar Aa Ke Chali Jaati Hai Veerani Nahin Jaati.
चमन में रहने वालों से तो हम सहरा-नशीं अच्छे,
बहार आ के चली जाती है वीरानी नहीं जाती।
Ab Wo Baatein Na Wo Raatein Na Mulaqaten Hain,
Mehfilein Khwaab Ki Soorat Huyin Veeran Kya Kya.
अब वो बातें न वो रातें न मुलाक़ातें हैं,
महफ़िलें ख़्वाब की सूरत हुईं वीराँ क्या क्या।
Ab To Miliye Bas Ladaai Ho Chuki,
Ab To Chaliye Pyar Ki Batein Karein.
अब तो मिलिए बस लड़ाई हो चुकी,
अब तो चलिए प्यार की बातें करें।
Bhula Baithe Ho Hum Ko Aaj Lekin Ye Samajh Lena,
Bahut Pachhtaoge Jis Waqt Hum Kal Yaad Aaenge.
भुला बैठे हो हम को आज लेकिन ये समझ लेना,
बहुत पछताओगे जिस वक़्त हम कल याद आएँगे।
Mohabbat Ke Iqraar Se Sharm Kab Tak,
Kabhi Samna Ho To Majaboor Kar Doon.
मोहब्बत के इक़रार से शर्म कब तक,
कभी सामना हो तो मजबूर कर दूँ।
Muddatein Ho Gayin Bichhade Huye Tum Se Lekin,
Aaj Tak Dil Se Mire Yaad Tumhari Na Gayi.
मुद्दतें हो गईं बिछड़े हुए तुम से लेकिन,
आज तक दिल से मिरे याद तुम्हारी न गई।
रात भर उन का तसव्वुर दिल को तड़पाता रहा,
एक नक़्शा सामने आता रहा जाता रहा।
Mit Chale Meri Umeedon Ki Tarah Harf Magar,
Aaj Tak Tere Khaton Se Tiri Khushboo Na Gai.
मिट चले मेरी उमीदों की तरह हर्फ़ मगर,
आज तक तेरे ख़तों से तिरी ख़ुशबू न गई।
इन वफ़ादारी के वादों को इलाही क्या हुआ,
वो वफ़ाएँ करने वाले बेवफ़ा क्यूँ हो गए।
बजा कि है पास-ए-हश्र हम को करेंगे पास-ए-शबाब पहले,
हिसाब होता रहेगा या रब हमें मँगा दे शराब पहले।
Aarzoo Vasl Ki Rakhti Hai Pareshan Kya Kya,
Kya Bataun Ki Mere Dil Mein Hai Armaan Kya Kya.
आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या,
क्या बताऊँ कि मेरे दिल में है अरमाँ क्या क्या।
इस तरह रेल के हमराह रवाँ है बादल,
साथ जैसे कोई उड़ता हुआ मय-ख़ाना चले।
किस को फ़ुर्सत थी ज़माने के सितम सहने की,
गर न उस शोख़ की आँखों का इशारा होता।
इश्क़ को नग़्मा-ए-उम्मीद सुना दे आ कर,
दिल की सोई हुई क़िस्मत को जगा दे आ कर।
ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए,
वो उम्र क्या हुई वो ज़माने किधर गए।
लॉन्ड्री खोली थी उस के इश्क़ में,
पर वो कपड़े हम से धुलवाता नहीं।
Zindagi Kitni Masarrat Se Guzarti Ya Rab,
Aish Ki Tarah Agar Gam Bhi Ganwaara Hota.
ज़िंदगी कितनी मसर्रत से गुजरती या रब,
ऐश की तरह अगर गम भी गवारा होता।
Best Sher of Akhtar Shirani Ghazal
Kaam Aa Sakin Na Apni Wafaayein To Kya Karein,
Uss BeWafa Ko Bhool Na Jaayein To Kya Karein.
काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें,
उस बेवफ़ा को भूल न जाएँ तो क्या करें।
Mana Ki Sab Ke Saamne Milne Se Hai Hijaab,
Lekin Wo Khwaab Mein Bhi Na Aayen To Kya Karein.
माना कि सब के सामने मिलने से है हिजाब,
लेकिन वो ख़्वाब में भी न आएँ तो क्या करें।
इक दिन की बात हो तो उसे भूल जाएँ हम,
नाज़िल हों दिल पे रोज़ बलाएँ तो क्या करें।
अब जी में है कि उन को भुला कर ही देख लें,
वो बार बार याद जो आएँ तो क्या करें।
Akhtar Shirani Hindi Urdu Poetry
वो अगर आ न सके मौत ही आई होती,
हिज्र में कोई तो ग़म-ख़्वार हमारा होता।
किसी मग़रूर के आगे हमारा सर नहीं झुकता,
फ़क़ीरी में भी 'अख़्तर' ग़ैरत-ए-शाहाना रखते हैं।
उम्र भर की तल्ख़ बेदारी का सामाँ हो गईं,
हाए वो रातें कि जो ख़्वाब-ए-परेशाँ हो गईं।
पारसाई की जवाँ-मर्गी न पूछ,
तौबा करनी थी कि बदली छा गई।
कूचा-ए-हुस्न छुटा तो हुए रुस्वा-ए-शराब,
अपनी क़िस्मत में जो लिक्खी थी वो ख़्वारी न गई।
ग़म अज़ीज़ों का हसीनों की जुदाई देखी,
देखें दिखलाए अभी गर्दिश-ए-दौराँ क्या क्या।
इक वो कि आरज़ुओं पे जीते हैं उम्र भर,
इक हम कि हैं अभी से पशीमान-ए-आरज़ू।
सू-ए-कलकत्ता जो हम ब-दिल-ए-दीवाना चले,
गुनगुनाते हुए इक शोख़ का अफ़्साना चले।
मुझे दोनों जहाँ में एक वो मिल जाएँ गर 'अख़्तर',
तो अपनी हसरतों को बे-नियाज़-ए-दो-जहाँ कर लूँ।
ग़म-ए-आक़िबत है न फ़िक्र-ए-ज़माना,
पिए जा रहे हैं जिए जा रहे हैं।
Short Two Line Shayari By Akhtar Shirani
Dil Mein Leta Hai Chutakiyan Koi,
Hay, Iss Dard Ki Dava Kya Hai.
दिल में लेता है चुटकियाँ कोई,
हाय, इस दर्द की दवा क्या है।
मुझे है ऐतबार-ए-वादा लेकिन,
तुम्हें ख़ुद ऐतबारआए न आए।
है कयामत तिरे शबाब का रंग,
रंग बदलेगा फिर जमाने का।
किया है आने का वादा तो उस ने,
मेरे परवरदिगार आए न आए।
उस के अहद-ए-शबाब में जीना,
जीने वालो तुम्हें हुआ क्या है।