Dosti Shayari, Kagaz Par Dosti

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Kagaz Par Aaj Dosti Likhne Baitha Tha,
Zindagi Main Teri Hissedari Likhne Baitha Tha,
Kalam Uthi Hi Nahi Kagaz Par Chalne Ko,
Kyuki Vafa Ko Aaj Alfaaz Mein Likhne Baitha Tha.

कागज़ पर आज दोस्ती लिखने बैठा था,
ज़िन्दगी मे तेरी हिस्सेदारी लिखने बैठा था,
कलम उठी ही नही कागज़ पर चलने को, क्यूंकि
वफ़ा को आज अल्फाज़ में लिखने बैठा था।

Dosti Shayari - Dosti Likhne Baitha Tha

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Yaari Hoti Hai Dil Ke Raaz Batane Ke Liye,
Ham Apni Hansi Mita Den Aapko Hansane Ke Liye,
Milne Ki To Aapko Fursat Nahi,
To Ham Hi Chale Aaye Apni Yaad Dilane Ke Liye.

यारी होती है दिल के राज़ बताने के लिए,
हम अपनी हंसी मिटा दें आपको हंसाने के लिए,
मिलने की तो आपको फ़ुर्सत नही,
तो हम ही चले आये अपनी याद दिलाने के लिए।

Chahat Aisi Ho Jo Jeene Ko Majaboor Kare,
Raah Aisi Ho Jo Chalne Ko Majaboor Kare,
Mahek Kam Na Ho Kabhi Apni Dosti Ki,
Dosti Aisi Ho Jo Milne Ko Majaboor Kare.

चाहत ऐसी हो जो जीने को मजबूर करे,
राह ऐसी हो जो चलने को मजबूर करे,
महक कम न हो कभी अपनी दोस्ती की,
दोस्ती ऐसी हो जो मिलने को मजबूर करे।

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